इच्छाओं को त्याग कर हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और मन पर काबू पा कर श्रेष्ठ जीवन जी सकते हैं। यह विचार आज सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शिमला के विकासनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में लाईफ केयर एण्ड पीस मिशन की बड़ी गुरूमां ने व्यक्त किए।
बड़ी गुरूमां ने कहा कि ध्यान वह युक्ति है, जिससे काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि अवगुणों को त्याग सकते हैं। इन अवगुणों को त्याग कर शरीर के सातों चक्रों का शुद्धिकरण कर सकते है। बड़ी गुरूमां ने इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को ध्यान लगाने के सम्बन्ध में जानकारी दी और उन्हें ध्यान का अभ्यास भी करवाया।
छोटी गुरूमां ने इस अवसर पर नशे के दल-दल में फसते युवओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि ध्यान के माध्यम से चक्रों के शुद्धिकरण से नशांे से दूर रहा जा सकता है।
इस अवसर पर हिमाचल के मुख्य सचिव श्रीकान्त बाल्दी ने बड़ी गुरूमां और छोटी गुरूमां का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आज यहां दोनों छोटी और बड़ी गुरूमां एक साथ एक मंच पर उपस्थित है।
परियोजना निदेशक (वित्त) प्रदीप चैहान, सतलुज जल विद्युत निगम लिमेटिड (एसजेवीएनएल) के अध्यक्ष नन्द लाल शर्मा, मुख्य सचिव की धर्मपत्नी उमा बाल्दी ने भी अन्य सहित कार्यक्रम में भाग लिया।