शिमला ! हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में अहम योगदान देने वाले सेब पर गंभीर बीमारी स्कैब का अटैक हुआ है। कई दशकों बाद इस रोग के इस वर्ष फैलने से बागवानों की नींद उड़ गई है। अभी इस रोग की शुरूआत है और यदि इसे इसी स्टेज पर न रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस रोग के फैलने पर इसे काबू में लाना मुश्किल हो जाएगा और बागवानों की सालभर की मेहनत पर पूरी तरह पानी फिर जाएगा।
बताते हैं कि प्रदेश में करीब 37 साल बाद स्कैब ने फिर दस्तक दी है। हालांकि इस बीमारी का प्रकोप अभी कुछ ही क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है, लेकिन अगले कुछ समय में इस बीमारी के और बढ़ने की संभावना है और इसी कारण बागवान चिंतित हैं। ऐसे में स्कैब बीमारी ने एक बार फिर बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
हिमाचल प्रदेश में पहली बार स्कैब बीमारी 1982 में फैली थी और उस समय राज्य में करोड़ों रूपए की सेब की फसल बर्बाद हो गई थी। उस साल बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ था। उस समय सेब की सारी फसल को ठिकाने लगाने को एरिया चिन्हित किए गए थे, ताकि इसका वायरस आगे न फैले। अब एक बार फिर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में यह बीमारी फिर पांव पसारने लगी है। शिमला, कुल्लू और मंडी जिले के कुछ बागीचों में पिछले एक सप्ताह से स्कैब ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। वही कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने राज्य में सेब की फसल पर मंडराए स्कैब रोग को लेकर सरकार से तुरंत हरकत में आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द प्रभावित इलाकों में इस रोग के लिए दवाएं उपलब्ध करवानी चाहिए और बागवानों को यह दवाएं उपदान करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि यह रोग अभी न रुका तो राज्य में सेब की फसल बर्बाद हो जाएगी और बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।