शिमला ! विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर शिमला के पीटरहॉफ में कौशल विकास निगम द्वारा आयोजित ‘हिम कौशल उत्सव’ में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के युवाओं का कौशल विकास करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है ताकि इस प्रदेश के युवा रोजगार खोजने की बजाए रोजगार प्रदान करने वाले बन सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं बढ़ती बेरोजगारी की समस्या विकसित एवं विकासशील दोनों ही प्रकार के देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। उन्होंने विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे गरीबी को सभी स्तरों पर समाप्त करने में सहायता मिलेगी।
बढ़ती बेरोजगारी की समस्या पर अपनी गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास अपनी अह्म भूमिका निभा सकते हैं। युवाओं के लिए और अधिक तकनीकी शिक्षा व कौशल विकास कार्यक्रम आरम्भ करने पर बल देते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसा करने से युवाओं को विश्व स्तर पर रोजगार पाने के योग्य बनाया जा सकेगा तथा वे स्वरोजगार अपनाने में भी सक्षम हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘कौशल भारत’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लोकप्रिय कार्यक्रम है और वे कौशल भारत के माध्यम से ‘विकसित भारत’ की कल्पना करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व की ही देन है कि वर्ष 2014 में कौशल विकास का एक स्वतंत्र मंत्रालय स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप हम हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक कौशल विकास कार्यक्रम आरम्भ करने में सफल हुए हैं।
जय राम ठाकुर ने कहा कि विश्व में बदलते परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की धारणा भी बदली है और आज की शिक्षा के मायने युवाओं का कौशल विकास करके उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर बेहतर जीवनयापन करने योग्य बनाना है। उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल सरकारी नौकरियों के पीछे न भाग कर उन्हें निजी क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए भी आगे आना चाहिए।
इस वर्ष 7 व 8 नवम्बर को धर्मशाला में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर मीट का उल्लेख करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई बड़े औद्योगिक घरानों ने निवेश करने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में मात्र 5 प्रतिशत कामकाजी जनसंख्या ही विधिवत प्रशिक्षित है जबकि जर्मन में 75 प्रतिशत, जापान में 80 प्रतिशत तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों में 96 प्रतिशत कामकाजी जनसंख्या प्रशिक्षित है। उन्होंने कहा कि उद्योगों की मांग को देखते हुए हमारे युवाओं को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रदेश में लगभग 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है इसलिए युवाओं के कौशल विकास पर और भी अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश के युवाओं की सुविधा के लिए एक मोबाइल आधारित ऐप का भी शुभारम्भ किया तथा एक प्रेरक बुकलेट का भी विमोचन किया। उन्होंने इस अवसर पर कौशल प्रदातों व विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा लगाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी में भी मुख्यमंत्री ने अपनी गहरी रूचि दिखाई।
उद्योग एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश के युवा अपने परिश्रम और समर्पण की भावना से कार्य करने के लिए जाने जाते हैं, यही कारण है कि उद्योगपति उन्हें रोजगार देने के इच्छुक रहते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युवाओं का कौशल विकास करने के प्रति बचनबद्ध है ताकि जहां उद्योगों की जरूरत को पूरा किया जा सके वहीं उन्हें स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकें। उन्होंने युवाओं के कौशल विकास के लिए अनेक नई योजनाएं आरम्भ करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।